Karmagranth Part 1 Quiz Posted by Anup Sir Date November 17, 2020 Comments 5 comments श्री प्रेमसूरीश्वरजी संस्कृत पाठशाला एवं तपोवन इ पाठशाला में आपका हार्दिक स्वागत है ।नमो नमः प्रणाम,SUBJECT - KARMAGRANTH PART 1प्रेक्टीस पेपर के लाभार्थी श्री कौशिकभाई चीमनलाल शाह - सायन (वेस्ट) मुंबई1. सूंठ डालकर बनाया गया मोदक अपने स्वभाव से ................... का नाश करता है।Deselect Answerशरदीवातपित्तकफ2. कर्म के भिन्न भिन्न स्वभाव को ......................... कहते है ।Deselect Answerआवरणप्रकृतिप्रदेशदेश3. कदंबपुष्प के समान आकारवाली ........... है।Deselect Answerध्राणेन्द्रियश्रोतेन्द्रियरसनेन्द्रियएक भी नहीं4. ................ ज्ञानो का नाश होता है तब केवलज्ञान प्रगट होता है।Deselect Answerश्रुतज्ञानमिथ्यात्वबुद्धिछाद्मस्थिक5. कर्म में शुभ याँ अशुभ फळ देने के सामथर्य की ........... कहते है।Deselect Answerप्रकृतिबंधस्थितिबंधप्रदेशबंधरसबंध6. ग्रंथ की शुरूआत में ग्रंथकार विषय, संबंध, प्रयोजन और अधिकारी, वह चार चीजें बतायी जाती है उसे............... कहते है।Deselect Answerअनुबंध चतुष्टयदर्शनज्ञानपरंपरा7. यह ग्रंथ का अभ्यास करने के मुख्य अधिकारी ........................... है ।Deselect Answerजीवज्ञानीकोई भीसम्यग्दृष्टि8. प्रत्येक शंखादि के शब्द को थोडे धर्म सहित जाने यह ................... अवग्रह ।Deselect Answerअबहुविधअक्षिप्रबहुविधक्षिप्र9. जीव, अजीव आदि नवतत्व की रूचि या श्रध्धा को सम्यग् .......... कहते है।Deselect Answerमोहदर्शनचारित्रज्ञान10. अवधिज्ञान ...................... की अपेक्षा के बिना होता है।Deselect Answerश्रद्धाइंद्रियधर्मराग11. ......................... यानि काल की मर्यादा ।Deselect Answerकर्मधर्मसमयस्थिति12. ग्रंथ की शुरूआत में ..................... को वंदन किया है।Deselect Answerमहावीरस्वामीआदिनाथगुरूदेवशांतिनाथ13. मनुष्यो को मनुष्य से भय हो जाये यह ................... भय ।Deselect Answerमरणपरलोकइहलोकमनुष्य14. गति, जाति आदि 14 मूल मार्गणा के उत्तरभेद ............. होते है।Deselect Answer6260706515. ....................... बंध में नहीं है, पर उदय-ऊदीरणा में हैं।Deselect Answerमिथ्यात्वमोहनीयसम्यक्त्व मोहनीयवेदनीयआयुष्य16. ............. और दर्शन आत्मा का स्वरूप है ।Deselect Answerअज्ञानअविरतिपुण्यज्ञान17. प्रकृतिबंध और प्रदेशबंध का कारण ................................. है।Deselect Answerज्ञानचारित्रयोगदर्शन18. घाती कर्म प्रकृति का रस आत्मा के ...................... का नाश करता है।Deselect Answerपापोगुणोपुण्यदोषो19. जो अवधिज्ञान केवलज्ञान की प्राप्ति तक नष्ट नहीं होता है उसे ........... कहते है ।Deselect Answerअनुगामीप्रतिपातीवर्धमानअप्रतिपाती20. दानादि गुणो का घात करनेवाला जो कर्म है वह .............. है ।Deselect Answerपापअंतरायज्ञानदर्शन21. ................... का व्यंजनाग्रह नहीं होता है।Deselect Answerमन और जीभएक भी नहींचक्षु और जीभमन और चक्षु22. श्रुतनिश्रित मतिज्ञान के ........................... भेद है।Deselect Answerएक भी नहीं54123. चारित्रवाले यति को भी परिषहादि प्राप्त होने से थोडा कुछ कषाययुक्त करे यह ...........।Deselect Answerअप्रत्याख्यानचारित्रप्रत्याख्यानसंज्वलन24. चलते हुए निंद आये यह ............. निद्रा है।Deselect Answerप्रचला-प्रचलाप्रचलानिद्राथिणद्धि25. स्थविरकृत दशवैकालिविकादि को .................... कहते है।Deselect Answerअगभिकगमिकअंगबाह्यअंगप्रविष्ट26. मिथ्यात्वादिक हेतु द्वारा जो किया जाता हो उसे ........................... कहते है।Deselect Answerपापकर्मसंस्कारवासना27. जीव अजीव को जगह देनेवाला ...................... द्रव्य है।Deselect Answerधर्मास्तिकायकर्मपुद्गलआकाश28. शाता वेदनीय का रस सुख देता है, ईसलिए उसे .................... माना जाता है।Deselect Answerअशुभकर्मपापशुभ29. सर्व द्रव्य-पर्याय को तीन काल में प्रत्यक्ष जनाने वाला ज्ञान, वह .................. ।Deselect Answerमनः पर्यवज्ञानकेवलज्ञानबुध्धिअवधिज्ञान30. कर्म के फळ को ....................... कहते है।Deselect Answerहेतुविपाकआवरणबंध31. कर्म का वियोग ................... से होता है ।Deselect Answerसम्यग्दर्शनरोने सेदानराग32. अव्यक्त या अल्पज्ञान को ............................ कहते है।Deselect Answerअवग्रहधारणाअपायईहा33. भाव इंद्रिय के लब्धिईंद्रिय और ............. इंद्रिय एसे दो प्रकार है।Deselect Answerमनउपयोगद्रव्यभाव34. कर्मबंध के मुख्य हेतु ........................ है।Deselect Answer582435. कर्म के फळ को ....................... कहते है।Deselect Answerहेतुआवरणबंधविपाक36. जिस तरह मोदक में ज्यादा याँ कम य होता है, उसी तरह कर्म के ज्यादा याँ कम प्रदेश होते है उसे ..................... कहते है।Deselect Answerरसबंधप्रदेशबंधस्थितिबंधप्रकृतिबंध37. अकार से हुकार पर्यंत वर्णोके उच्चार को ................... कहते है।Deselect Answerलब्ध्यक्षरएक भी नहींव्यंजनाक्षरसंज्ञाक्षर38. द्विस्थानक रस को ................... एसी संज्ञा दि गई है।Deselect Answerमंदतीव्रतरतीव्रतीव्रतम39. वर्ण, गंध, रस और स्पर्शवाला जो हो उसे ............................... कहते है।Deselect Answerपुद्गलअजीवअरुपीजीव40. जो जीव मन – वचन – काया के तीव्र योग से प्रवर्तता हो तो वह बहोत ...................... को ग्रहण करता है।Deselect Answerपापोज्ञानकर्मप्रदेशविरति41. आयुष्य का उदय होने से गत्यादि ....................... का उदय अवश्य होता है।Deselect Answerनामकर्मज्ञानावरणीयकर्ममोहनीयकर्मअंतरायकर्म42. अवधि, मनः पर्यव और केवलज्ञान ................... ज्ञान है ।Deselect Answerसमानप्रत्यक्षऊंचापरोक्ष43. अप्रत्याख्यानावरणकषाय ................... वर्ष पर्यंत रहता है।Deselect Answer142544. जो कर्म का रस आत्मा के गुणों का घात नहिं करता है उसे ................... रस कहते है।Deselect Answerघातीअघातीशुभअशुभ45. दो हाथ, दो पैर आदि ............... अंग है ।Deselect Answer12410846. मतिज्ञान और श्रुतज्ञान का काल ..................... सागरोपम है।Deselect Answer702066747. ज्ञानावरणीय कर्म की उत्कृष्ट स्थिति ......................... कोडाकोडी सागरोपम है।Deselect Answer7020223048. रसबंध को ......................... कहते है ।Deselect Answerशुभस्थितिअनुभागअशुभ49. यह ग्रंथ का विषय ........................... है।Deselect Answerजिज्ञासाकर्मस्तवकर्मविपाकबंधस्वामीत्व50. ग्रंथ की शुरूआत में ग्रंथकार विषय, संबंध, प्रयोजन और अधिकारी, वह चार चीजें बतायी जाती है उसे............... कहते है।Deselect Answerदर्शनज्ञानअनुबंध चतुष्टयपरंपराTime is Up!Share: Anup Sir Next post KARMAGRANTH PART 1.1 November 28, 2020
5 Comments
Very nice guruji 🙏 anumodna
Guruji ,
Gati aadi 14 margana ke Uttar bhed 65 hai … Answer 62 diya gaya hai..
Please confirm..
62 HAI
Fine / easy
Pranam 🙏🙏 Guruji ,i know my knowledge ,🙏🙏