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      KARMAGRANTH PART 1.1

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      KARMAGRANTH PART 1.1

      • Posted by Anup Sir
      • Date November 28, 2020
      • Comments 2 comments

      श्री प्रेमसूरीश्वरजी संस्कृत पाठशाला एवं तपोवन इ पाठशाला में आपका हार्दिक स्वागत है ।

      नमो नमः प्रणाम,

      SUBJECT - KARMAGRANTH PART 1.1

      प्रेक्टीस पेपर के लाभार्थी श्री कयवन प्रशान्तभाई शाह - मलाड (ई) मुंबई

      1. विकलेन्द्रियों को ............................. पर्याप्ति होती है।Deselect Answer
      2. तीर्थंकर नामकर्म का विपाक मात्र.................................... को होता है।Deselect Answer
      3. क्षुधा, पिपासा, शीत ............................... आदि 22 प्रकार के परिषह है।Deselect Answer
      4. ........................... कर्म के उदय से प्राणी का शरीर काला होता है।Deselect Answer
      5. सर्व जन को प्रिय लगने में कारण ......... है ।Deselect Answer
      6. .............................. श्रुत 12 अंगो में विभाजित है, उसे द्वादशांगी कहते है ।Deselect Answer
      7. ........................ हस्ति और हंस के जैसीगति यह शुभविहायोगतिDeselect Answer
      8. परिसहों या उपसर्गो प्राप्त होने से यति को भी थोडा कुछ कषाययुक्त कर दे यह ..................कषाय।Deselect Answer
      9. ........................ कर्म के 42,93,103 और 67 प्रकार है।Deselect Answer
      10. .......................... नामकर्म का उदय सिर्फ सूर्यविमान में रहे हुए पृथ्वीकाय के जीवो को होता है।Deselect Answer
      11. छींक खाना, थूँकना आदि से, हाथ आदि की चेष्टा से जो बोध होता है उसे ................. श्रुत कहते है।Deselect Answer
      12. पर्याप्ति में आहार से शऱीर और शरीर से .................................... होती है।Deselect Answer
      13. संघयण सिर्फ .................................... के बारे में ही होता है।Deselect Answer
      14. ....................... स्पर्शनामकर्म के उदय से प्राणी का शरीर लुख्खा रहता है।Deselect Answer
      15. जिनपूजा में पाणी, पुष्पादि आदि के जीवो का वध होने से यह नहीं करना चाहिये एसा पूजा का निषेध करनेवाला ............................. कर्म बाँधता है।Deselect Answer
      16. अस्थि का संभव मात्र .................................. शरीर के विषय में होता है ।Deselect Answer
      17. जिसके उदय से जिनप्रणित सत्य तत्व की रूचि नहीं होना यह ..................... मोहनीय.Deselect Answer
      18. खुद को और पर को दुःख, शौक, संताप, वध आदि करनेवाला ........................... कर्म बाँधता है।Deselect Answer
      19. ..................... छह प्रकार के है ।Deselect Answer
      20. जहाँ हडिड्या परस्पर छू कर रही हो यह ................................ संघयण ।Deselect Answer
      21. खुद, डरना, दूसरो को डराना, दूसरो को त्रास देना और निर्दयता भयमोहनीय के .........है।Deselect Answer
      22. हर एक जीव को औदारिक अथवा वैक्रिय भिन्न भिन्न शरीर प्राप्त होता है यह ................ नामकर्म के कारण।Deselect Answer
      23. वर्णादि कर्म की ............................ प्रकृति अशुभ है।Deselect Answer
      24. दानादि गुणो का घात करनेवाला कर्म ................................ ।Deselect Answer
      25. पराये द्रव्य का सेवन करना, बारबार मैथुन का सेवन करना, इंद्रियो के वश रहने से जीव .......................... का आयुष्य बांधता है ।Deselect Answer
      26. दूसरो की निंदा करना, तिरस्कार, जाति आदि का मद करना, खुद की प्रशंसा करने से ....................... कर्म बँधता है ।Deselect Answer
      27. अपने सही – गलत गुणो की प्रशंसा करना, दोषो को ढकना, सद्गुणो का लेप करने से .................... कर्म बँधता है।Deselect Answer
      28. जिस एक प्रकृति के अनेक भेद होते है उसे .................................. प्रकृतिक कहते है।Deselect Answer
      29. असंज्ञी पंचेन्द्रियो को ...... पर्याप्तियाँ होती है ।Deselect Answer
      30. ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय और अंतराय यह चारो ......................... कर्म है।Deselect Answer
      31. अपने सच्चे – जुठे गुणो की तारीफ करना, अपने दोषो को ढकना और जात्यादि का मद करना यह .................................. के हेतु है ।Deselect Answer
      32. आनुपूर्वी का उदय ............................ गति के विषय में होता है।Deselect Answer
      33. जिनके आश्रय से सुख दुःख का अनुभव होता यह ...........................Deselect Answer
      34. अदेखाई, पाप करने का स्वभाव , दूसरो के आनंद का नाश करना और दुष्ट कार्य में प्रेरणा करना यह ........................... के बंध के हेतु है ।Deselect Answer
      35. अविरति समयग्द्रष्टि देशविरति, और सराग संयमी ............. देव का आयुष्य बाँधता है।Deselect Answer
      36. वर्णादि की नौ प्रकृतिर्यां ............................ है।Deselect Answer
      37. जिस निद्रा की अवस्था में सोया हुआ प्राणी निद्रा से जागृत हो जाये, वह .............. ।Deselect Answer
      38. जिस कर्म के उदय से अनंत जीवो के बीच एक शरीर प्राप्त होता है उसे ........................ नामकर्म कहते है।Deselect Answer
      39. ........................ करण में एक समय पर एक साथ प्रवेश करनेवाले जीवो के अध्यवसाय में परस्पर भेद नहीं होता है ।Deselect Answer
      40. प्रायः देव और मनुष्य के लिए ............................का उदय होता है।Deselect Answer
      41. ..................... शरीर एक से अनेक हो सकता है, छोटा-बडा, दृश्य-अदृश्य हो सकता है।.Deselect Answer
      42. ............................. यानि बाकी की इंद्रिय और मन।Deselect Answer
      43. अच्छी या बुरी वस्तु के उपर जुगुप्सा पैदा होना ..................... मोहनीय ।Deselect Answer
      44. जिस कर्म के उदय से प्राणी का शरीर कोमल स्पर्शवाला होता है यह .................... स्पर्श नामकर्म ।Deselect Answer
      45. जिह्वा से जिसका ज्ञान होता है उसे ........................... कहते है।Deselect Answer
      46. .............................. नामकर्म के उदय से जीव की आवाज कानो को प्रिय लगती है।Deselect Answer
      47. नामकर्म .................................... समान है।Deselect Answer
      48. मन – वचन – काया की वक्रता, दूसरो को छलना, कपट प्रयोग, वशीकरण आदि से .......................... नामकर्म बँधता है।Deselect Answer
      49. आयुष्यकर्म ...................... समान है ।Deselect Answer
      50. रस रूप हुए आहार को रस, रूधिर, मांस आदि के रूप में परिणमन करे, यह ................ पर्याप्ति ।Deselect Answer

      clock.png

      Time is Up!

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      Anup Sir
      Anup Sir

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        December 2, 2020

          2 Comments

        1. Avatar
          Malti Naresh Shah
          December 6, 2020
          Reply

          🙏fine

        2. Avatar
          Sheela Bafna
          January 17, 2021
          Reply

          Good paper for revising the subject

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